5 EASY FACTS ABOUT BAGLAMUKHI SHABAR MANTRA DESCRIBED

5 Easy Facts About baglamukhi shabar mantra Described

5 Easy Facts About baglamukhi shabar mantra Described

Blog Article



Study the Pronunciation: Shabar mantra typically makes use of nearby dialects, so good pronunciation is critical. Practice Each individual syllable meticulously just before attempting the complete chant.

ॐ ह्लीं बगलामुखि सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिह्वां कीलय बुद्धिं विनाशय ह्रीं ॐ स्वाहा

ॐ ह्ल्रीं भयनाशिनी बगलामुखी मम सदा कृपा करहि, सकल कार्य सफल होइ, ना करे तो मृत्युंजय भैरव की आन॥

शमशान में अगर प्रयोग करना है तब गुरू मत्रं प्रथम व रकछा मत्रं तथा गूड़सठ विद्या होने पर गूड़सठ क्रम से ही प्रयोग करने पर शत्रू व समस्त शत्रुओं को घोर कष्ट का सामना करना पड़ता है यह प्रयोग शत्रुओं को नष्ट करने वाली प्रक्रिया है यह क्रिया गुरू दिक्षा के पश्चात करें व गुरू क्रम से करने पर ही विशेष फलदायी है साघक को बिना छती पहुँचाये सफल होती है।

The traditional exercise is always to chant the mantra 108 times each day. Nevertheless, The key facet is regularity. If 108 repetitions really feel too much to handle in the beginning, get started with a more compact selection which you could regulate routinely, and gradually boost over time.



अध्यात्मिक उन्नति: आध्यात्मिक उन्नति और आत्मज्ञान प्राप्त होता है।

 इस मंत्र का प्रयोग आजमाने हेतु या निरपराधी व्यक्ति पर भूल कर न करें नहीं तो दुष्परिणाम भोगने ही पड़ जाता है।

दूसरे भाग “सकल कार्य सफल होइ” का अर्थ है कि देवी कृपा से सभी कार्य सफल होंगे। अंत में, “ना करे तो मृत्युंजय भैरव की आन” का मतलब है कि अगर देवी कृपा नहीं करें, तो मृत्युंजय भैरव की कसम है।

बगलामुखी शाबर मंत्र एक शक्तिशाली मंत्र है जो बगलामुखी देवी की उपासना के लिए प्रयोग किया जाता है। बगलामुखी देवी ज्ञान, शक्ति और बुरी शक्तियों को नष्ट करने के लिए प्रसिद्ध हैं। इस मंत्र के माध्यम से भक्त देवी की कृपा प्राप्त कर सकते हैं और अपने जीवन की समस्याओं का समाधान कर सकते हैं।

मंत्र प्रयोग से पूर्व कन्या पूजन करते हैं किसी भंगी की कन्या(जिसका मासिक न प्रारम्भ हुआ हो) का पूजन करते हैं, एक दिन पूर्व जाकर कन्या की माँ से उसे नहला कर लाने को कहे फिर नए वस्त्र पीले हो तो अति उत्तम, पहना कर, चुनरी ओढ़ा कर ऊँचे स्थान  पर बैठा कर, खुद उसके नीचे बैठे व हृदय में भावना करे कि मैं माँ का श्रिंगार व पूजन कर रहा हूँ, इस क्रिया में भाव ही प्रधान होता है

oṃ malayācala bagalā bhagavatī mahākrūrī mahākarālī rājamukha bandhanaṃ grāmamukha bandhanaṃ grāmapuruṣa bandhanaṃ kālamukha bandhanaṃ here cauramukha bandhanaṃ vyāghramukha bandhanaṃ sarvaduṣṭa graha bandhanaṃ sarvajana bandhanaṃ vaśīkuru huṃ phaṭ svāhā।

“Aum Hreem Baglamukhi sarv dushtanaam vaacham mukham padam stambhyaJivhaam keelya, buddhim vinaashya hreem aum swaaha”

Established your intention: Before you commence, make clear your intent. What does one hope to attain? Visualise your aim while you put together to chant.

Report this page